नापसंद भी करें

यह सीख हमेशा से दी जाती रही है कि हमें अपने मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए। वह आदमी बहुत अच्छा माना जाता है जो हर चीज को अच्छा कहता है। यह वाकई सकारात्मक नजरिए का लक्षण है। आखिर हम गलत क्यों सोचें। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि पसंद और नापसंद की विभाजक रेखा ही मिट जाए।

कहीं ऐसा न हो कि सकारात्मक बनने का हम पर इतना दबाव हो जाए कि हम अपनी विश्लेषण क्षमता ही खो दें और आंख मूंदकर हर चीज को स्वीकार करते जाएं। नहीं, हमें यह मालूम होना चाहिए कि हमें क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए। हमारे मन में हमेशा एक विभाजक रेखा होनी चाहिए जिससे यह तय हो सके कि अमुक बात हमारे लिए अच्छी है और अमुक बुरी।

हमें अस्वीकार करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए और किसी चीज को गलत ठहराने का साहस भी रखना चाहिए। यह दुनिया तभी आगे बढ़ी जब कुछ लोगों ने प्रचलित मानदंडों को नापसंद किया और नए रास्ते ढूंढे। इसलिए अपनी पसंद के साथ अपनी नापसंदगी का भी ख्याल रखें।

संजय कुंदन 
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जेल में बंद 'आतंकवादी' ने मांगा नॉन-वेज

पूर्णिया जेल प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि मिर्जा को जेल का खाना अच्छा नहीं लग रहा है। उसने खाने में प्रतिदिन 2 किलो मांस और नाश्ते में 1 किलो चिकेन देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि मिर्जा ने यह धमकी दी है कि अगर जेल प्रशासन उसके मनमुताबिक खाना नहीं देगा तो वह भूख हड़ताल करेगा। मिर्जा ने कहा कि उसने पिछले 5 सालों से बगैर मांस के खाना नहीं खाया है। 


पुलिस का आरोप है कि मिर्जा के संपर्क अलकायदा के साथ हैं और उसने अलकायदा के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काम भी किया है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक यू. एस. दत्त के मुताबिक मिर्जा ने पुलिस के सामने अलकायदा से जुड़े होने की बात कबूल भी की है। 

गौरतलब है कि पूर्णिया जिले के नगर थाना क्षेत्र में गत 13 जनवरी को पुलिस ने पाकिस्तानी पासपोर्ट तथा अन्य संदिग्ध वस्तुओं के साथ मिर्जा को गिरफ्तार किया था।
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पुलिस मुख्यालय के सामने जहर खाकर आत्मदाह

हरियाणा में साल भर के अंदर आधा दर्जन महिलाओं ने पुलिस मुख्यालय के सामने जहर खाकर आत्मदाह कर लिया। अभी ताजातरीन मामला हांसी की लक्ष्मी देवी का है। नए साल के पहले महीने में ही छह जनवरी बुधवार को उसने चंडीगढ़ में डीजीपी कार्यालय के बाहर जहर खाकर आत्महत्या कर ली और साथ ही पुलिस की घोर जनता विरोधी घिनौने चरित्र को उजागर कर दिया। देश और हरियाणा में यह पहला मामला नहीं है।

हरियाणा पुलिस मुख्यालय के सामने पिछले साल रोहतक की सरिता ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस पर आरोप है कि उसने सरिता के पति को अवैध हिरासत में रखा हुआ था। थाने में जब वह अपने पति का हाल जानने पहुंची तो न केवल उसके साथ दुष्कर्म किया गया, बल्कि यातनाएं भी दी गईं। रोहतक पुलिस के इस क्रूर और वहशियाना रवैया देख सरिता ने डीजीपी कार्यालय में जहर खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। इसके बाद करीब आधा दर्जन ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।


यमुनानगर की शमशीदा बेगम पुलिस उत्पीडऩ का शिकार हो चुकी है। पुलिस की पिटाई से उसका गर्भ गिर गया था। जींद का कुंडू दंपति भी न्याय की उम्मीद में आत्महत्या का प्रयास कर चुका है। रोहतक में आईजी आफिस के बाहर पानीपत की अलका ने आत्महत्या कर ली। उसका पति किसी तरह बच गया था। अलका का कुसूर सिर्फ इतना था कि वह अपने साथ दुष्कर्म के आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रही थी। नारनौल की पूजा मान ने भी न्याया की आस टूटने पर कुएं में कूदकर जान दे दी थी।
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