मध्यप्रदेश व्यापम घोटाले अब रहस्यमयी मौत की पहेली बन चूकी हैं

             मध्यप्रदेश व्यापम घोटाले अब रहस्यमयी मौत की पहेली बन चूकी हैं
मध्यप्रदेश व्यापम घोटाले अब रहस्यमयी मौत की पहेली बन चूकी हैं ,42 मौतों को देखते हुए अब सुप्रीमकोर्ट को स्वयं संज्ञान में लेकर जांच करवाना चाहिए - ये सभी मौत के पीछे हाईटेक हत्यारों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता | हत्या के लिए सुपारी देना आम बात हैं ,कही लेजरगन का उपयोग तो नहीं हो रहा हैं ! घोटाला और मौत पर अब तक देश के हर कोने से जबरदस्त आवाज की उम्मीद थी लेकिन दबी हुई आवाज के कारण स्थिती स्पष्ट नहीं हो रहा हैं ,देश के लिए खतरनाक -शर्मनाक *
Read More

देशद्रोही कौन -डा.विनायक सेन या देश के भ्रष्टलोग ? न्यायालय जबाव दो....डा. सेन को आजीवन कारावास क्यों

         अभिव्यक्ति पर करारा चोट ,मौलिक अधिकार का हनन ,प्रजातंत्र का गला घोटने वाला देशद्रोही नहीं है, वल्कि अधिकार के लिए लड़ने  वाले देशद्रोही है। न्यायालय द्वारा डा.विनायक सेन ,नारायण सन्याल, और पीजूश गुहा को छत्तीसगढ विशेष  जन सुरक्षा अधिनियम के तहत राष्ट्रद्रोह  की साजिश  का आरोप लगाकर आजीवन कारावास का सजा सुना दिया गया । न्यायालय प्रसाशन  और भाई भतिजेवाद से आज अछुता नहीं रह गया है , इसी सत्य को सर्वोच्च न्यायालय ने बार बार कहती है ,जब न्याय व्यावस्था में खामियॉं है, तो कैसे मान लिया जाए कि राज्य में थौपा गया विशेष  जन सुरक्षा कानुन के तहत डा सेन एवं अन्य पर न्याय वाध्यकारी  है ? डा. सेन  विशेष  जन सुरक्षा अधिनियम का शुरू  से ही विरोध करते रहे है और  यह भी शंका  जाहिर करते रहे कि हो न हो आगे जाकर अधिनियम के तहत  जनता के आवाज को दवाने में इसका गलत उपयोग किया जाएगा । 
दिनांक 24.12.2010 के दिन छत्तिसगढ के इतिहास को काला दिन के रूप में अंकित किया जाएगा ,संसद पर हमला करने वाले देश  के लुटेरे ,प्लेन हाईजैक  करने वाले, अरबों का  घोटाला करने वाले ,वेदेशी  ताकतों और उनके टुकड़ों  पर पलने वाले, भोपाल गैस त्रासदी के मुख्यआरोपी एण्डरसन को अमेरिका में सुरक्षित छोड़ने  वाले ,जेसिका लाल हत्याकाण्ड के आरोपी ,1.76 लाख करोड़  के घपले बाज ,विदेशी बैंकों  में जमा काले कमाई वालों का लगभग 300 लाख करोड़  रूपये जमाखोर इस देश में  देशद्रोही  नहीं है, पर अधिकार की लड़ाई  लड़ने  ,गरिबों की आवाज उठाने वाले,निःस्वार्थ भाव से जनसेवा करने वाले देशद्रोही है। 

रायपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश  न्यायमूर्ति बीपी वर्मा ने कानुन किया होगा.. पर न्याय नहीं । कानून बजाना और न्याय करना दोनों बहुत दुर का रिस्ता है। न्याय दिखना और महशुस किया जाना भी आवश्यक है। 

मैं यह मानता हूँ  कि आज नक्शली  जिस तरह से जंगली वार कर रहा है और शंका  के आधार पर आदिवासीयों का हत्या कर रहा है वह किसी भी तरह सहानुभूति और सहयोग योग्य नहीं है ,मैं व्याक्तिगत रूप से हिंसा का घोर विरोधी हूँ ,छोटी- छोटी बातों पर या मतभीन्नता के कारण किसी को मौत  के घाट उतार देना, किसी समस्या का समाधान नहीं है। पर डा.सेन पर यह आरोप कि वे नक्शली गतिविधियों में लिप्त है। यह सरासर असत्य है , वर्तमान समय तो सत्य को सत्य साबित करना बहुत कठीन है ,परन्तु गलत को सच साबित करना बहुत आसान है , हमारी  न्याय व्यावस्था में ही अनेक खामियां है, जिससे आज न्याय पाने की कल्पना करना व्यार्थ है ,कुछ एक अपवाद को छोड़  कर यह व्यावस्था जनता को दुःख और अन्याय ही थौपता है।

अनेक संवैधानिक जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ विशेष  जन सुरक्षा कानून ही असंवैधानिक है अतः इस कानून की तहत दिया गया फैसला अपने आप में अमान्य योग्य है। इस प्रकार के मत दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर जी ने डा. सेन के आजीवन कारवास के प्रकरण पर अपना मत व्यक्त करते वक्त यह फैसला चौकाने वाला भी बताया है 1। 

मेरे लैपटॉप में अनेक प्रकार के लेख और भावना लिपिबद्ध है क्या कल इन लेख और भावना के अभिव्याक्ति को आधार बना कर मुझे भी देशद्रोही  करार दिया जा सकता हैं  ? प्रजातांत्रीक देश  में यह चलने  वाला  नहीं है , देश  के सभी मानव अधिकार से जुड़े  लोगों को ,संगठनों को , एक मत होकर पिछले जमानत के समय से भी अधिक जागरूकता के साथ इस अन्याय के विरोध में सामने आना होगा और खुलकर सामने आना होगा ,ताकि आगे इस तरह की विषेश अधिनियम के आड में मौलिक अधिकारों का हनन न हो सकें ।



Read More

नापसंद भी करें

यह सीख हमेशा से दी जाती रही है कि हमें अपने मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए। वह आदमी बहुत अच्छा माना जाता है जो हर चीज को अच्छा कहता है। यह वाकई सकारात्मक नजरिए का लक्षण है। आखिर हम गलत क्यों सोचें। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि पसंद और नापसंद की विभाजक रेखा ही मिट जाए।

कहीं ऐसा न हो कि सकारात्मक बनने का हम पर इतना दबाव हो जाए कि हम अपनी विश्लेषण क्षमता ही खो दें और आंख मूंदकर हर चीज को स्वीकार करते जाएं। नहीं, हमें यह मालूम होना चाहिए कि हमें क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए। हमारे मन में हमेशा एक विभाजक रेखा होनी चाहिए जिससे यह तय हो सके कि अमुक बात हमारे लिए अच्छी है और अमुक बुरी।

हमें अस्वीकार करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए और किसी चीज को गलत ठहराने का साहस भी रखना चाहिए। यह दुनिया तभी आगे बढ़ी जब कुछ लोगों ने प्रचलित मानदंडों को नापसंद किया और नए रास्ते ढूंढे। इसलिए अपनी पसंद के साथ अपनी नापसंदगी का भी ख्याल रखें।

संजय कुंदन 
Read More

जेल में बंद 'आतंकवादी' ने मांगा नॉन-वेज

पूर्णिया जेल प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि मिर्जा को जेल का खाना अच्छा नहीं लग रहा है। उसने खाने में प्रतिदिन 2 किलो मांस और नाश्ते में 1 किलो चिकेन देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि मिर्जा ने यह धमकी दी है कि अगर जेल प्रशासन उसके मनमुताबिक खाना नहीं देगा तो वह भूख हड़ताल करेगा। मिर्जा ने कहा कि उसने पिछले 5 सालों से बगैर मांस के खाना नहीं खाया है। 


पुलिस का आरोप है कि मिर्जा के संपर्क अलकायदा के साथ हैं और उसने अलकायदा के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काम भी किया है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक यू. एस. दत्त के मुताबिक मिर्जा ने पुलिस के सामने अलकायदा से जुड़े होने की बात कबूल भी की है। 

गौरतलब है कि पूर्णिया जिले के नगर थाना क्षेत्र में गत 13 जनवरी को पुलिस ने पाकिस्तानी पासपोर्ट तथा अन्य संदिग्ध वस्तुओं के साथ मिर्जा को गिरफ्तार किया था।
Read More

पुलिस मुख्यालय के सामने जहर खाकर आत्मदाह

हरियाणा में साल भर के अंदर आधा दर्जन महिलाओं ने पुलिस मुख्यालय के सामने जहर खाकर आत्मदाह कर लिया। अभी ताजातरीन मामला हांसी की लक्ष्मी देवी का है। नए साल के पहले महीने में ही छह जनवरी बुधवार को उसने चंडीगढ़ में डीजीपी कार्यालय के बाहर जहर खाकर आत्महत्या कर ली और साथ ही पुलिस की घोर जनता विरोधी घिनौने चरित्र को उजागर कर दिया। देश और हरियाणा में यह पहला मामला नहीं है।

हरियाणा पुलिस मुख्यालय के सामने पिछले साल रोहतक की सरिता ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस पर आरोप है कि उसने सरिता के पति को अवैध हिरासत में रखा हुआ था। थाने में जब वह अपने पति का हाल जानने पहुंची तो न केवल उसके साथ दुष्कर्म किया गया, बल्कि यातनाएं भी दी गईं। रोहतक पुलिस के इस क्रूर और वहशियाना रवैया देख सरिता ने डीजीपी कार्यालय में जहर खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। इसके बाद करीब आधा दर्जन ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।


यमुनानगर की शमशीदा बेगम पुलिस उत्पीडऩ का शिकार हो चुकी है। पुलिस की पिटाई से उसका गर्भ गिर गया था। जींद का कुंडू दंपति भी न्याय की उम्मीद में आत्महत्या का प्रयास कर चुका है। रोहतक में आईजी आफिस के बाहर पानीपत की अलका ने आत्महत्या कर ली। उसका पति किसी तरह बच गया था। अलका का कुसूर सिर्फ इतना था कि वह अपने साथ दुष्कर्म के आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रही थी। नारनौल की पूजा मान ने भी न्याया की आस टूटने पर कुएं में कूदकर जान दे दी थी।
Read More